जन लोकपाल बिल को लेकर जारी सिविल सोसाइटी की लड़ाई अपने अच्छे मकसद के साथ-साथ अन्ना हजारे के एकतरफा और अतार्किक फैसलों के लिए भी चर्चा में रही है। लेकिन इधर कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं जिनसे टीम अन्ना की सीमाएं कुछ ज्यादा ही उजागर हो गई हैं। टीम अन्ना यानी आंदोलन की 22 सदस्यीय कोर कमेटी के दो सदस्यों, गांधीवादी संगठक वी. पी. राजगोपाल और पर्यावरण कार्यकर्ता राजेंद सिंह के इस्तीफे से इसमें सतह के नीचे मौजूद गहरी बेचैनी का अंदाजा मिलता है।
रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन के वक्त टीम से स्वामी अग्निवेश की दूरी भी इसके फैसलों के अलोकतांत्रिक स्वरूप को लेकर ही बननी शुरू हुई थी, जिसका अंत एक साजिशाना स्टिंग ऑपरेशन में हुआ। जस्टिस संतोष हेगड़े और मेधा पाटेकर की कांग्रेस समर्थक छवि कभी नहीं रही, लेकिन टीम अन्ना के कांग्रेस हराओ अभियान पर वे भी खुलकर अपनी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं।
रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन के वक्त टीम से स्वामी अग्निवेश की दूरी भी इसके फैसलों के अलोकतांत्रिक स्वरूप को लेकर ही बननी शुरू हुई थी, जिसका अंत एक साजिशाना स्टिंग ऑपरेशन में हुआ। जस्टिस संतोष हेगड़े और मेधा पाटेकर की कांग्रेस समर्थक छवि कभी नहीं रही, लेकिन टीम अन्ना के कांग्रेस हराओ अभियान पर वे भी खुलकर अपनी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं।
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