ये मेरा इण्डिया!!
April 3, 2011
April 1, 2011
जिन्दगी
ज़िंदगी ने क्या दिया मुझे
सोच परेशा हुआ जब मै
पीछे मुड़ के देखा मैंने
तो पाया,
उस राह पर,
जिस पर चल के मै
यहाँ तलक आया हूँ
सिर्फ काँटे ही बिखरे पड़े दिखाई दिए।
मैं निराश हुआ।
दुसरे ही पल
मेरी निगाहे
उस राह के दोनों तरफ बिखरी
हरियाली पर पड़ी
तब मैंने पाया
इन्ही काँटो पे चलने पर
आँखों ने जो बहाए थे आँसू
शायद
उन्ही आँसुओ से सिंच कर,
उस राह के दोनों तरफ,
जिस पर चल मैं
यहाँ तलक पंहुचा हु,
हरियाली गहराई होगी
इससे मुझे सुकूँ मिला
और
जिन्दगी से था जो गिला
वो दिल से दूर हो चला
पाया मैंने
और आज की ज़िंदगी को
चाहे पगडंडी पर कितने भी काँटे
क्यों न हो
खुशहाल पाया मैंने।
सोच परेशा हुआ जब मै
पीछे मुड़ के देखा मैंने
तो पाया,
उस राह पर,
जिस पर चल के मै
यहाँ तलक आया हूँ
सिर्फ काँटे ही बिखरे पड़े दिखाई दिए।

मैं निराश हुआ।
दुसरे ही पल
मेरी निगाहे
उस राह के दोनों तरफ बिखरी
हरियाली पर पड़ी
तब मैंने पाया
इन्ही काँटो पे चलने पर
आँखों ने जो बहाए थे आँसू
शायद
उन्ही आँसुओ से सिंच कर,
उस राह के दोनों तरफ,
जिस पर चल मैं
यहाँ तलक पंहुचा हु,
हरियाली गहराई होगी
इससे मुझे सुकूँ मिला
और
जिन्दगी से था जो गिला
वो दिल से दूर हो चला
पाया मैंने
और आज की ज़िंदगी को
चाहे पगडंडी पर कितने भी काँटे
क्यों न हो
खुशहाल पाया मैंने।
( इमेज: गूगल इमेज से)
March 30, 2011
विश्व कप- क्रिकेट 2011
मोहाली और देश में दीवाली। जी हा, आज मेच जितने की ख़ुशी में सारा देश दिवाली मन रहा है। सभी को बधाई!
March 28, 2011
March 26, 2011
March 23, 2011
जिंदगी एक पहेली
जिंदगी एक पहेली है,
क्योकि
कल क्या हुआ?
आज क्या हो रहा है ?
कल क्या होगा?
क्यों होगा?
कैसे होगा?
कौन करेगा?
कब करेगा?
कहा करेगा?
कुछ भी तो नहीं पता है हमें
क्योकि जिंदगी एक पहेली है,
क्योकि
कल क्या हुआ?
आज क्या हो रहा है ?
कल क्या होगा?
क्यों होगा?
कैसे होगा?
कौन करेगा?
कब करेगा?
कहा करेगा?
कुछ भी तो नहीं पता है हमें
क्योकि जिंदगी एक पहेली है,
March 22, 2011
March 12, 2011
महाप्रलय

जपान देश बहुत कम समय मे उभरा है। उसे आज नैसर्गिक आपदाओ ने बुरी तरह घेर लिया है।इस तस्वीर को देखने से रोंगटे खड़े हो जाते है।
८.९ रिश्टर का भयंकर भूकंप वहा आया और साथ सुनामी नाम की राक्षस को भी लाया। इस राक्षस ने घर, कारखाने, कारे, ट्रक जो कुछ भी रास्ते में आया उसे अपनी आगोश में समा लिया है। इससे यही साबित होता है दोस्तों की इस ब्रम्हांड में ईश्वर से बड़ा कोई नहीं है। वो कुछ भी कर सकता है। हम चाहे कितना भी बचने की कोशिश करे जब तक वो नहीं चाहता हम बच नहीं सकते।
आज मुझे वो दिन याद आ रहे है जब मै जापान गया था। ओक्टोबर १९९८ में दिवाली की रात, जब दुनिया दिवाली मना रही थी हम मुंबई के हावाई अड्डे पर हवाई जहाज की राह देख रहे थे. रात १२ बजे हम सवार हुए थे.
मुझे मालुम था जापान में हमेशा भूकंप आते है। इसलिए जब हम वहा पहुचे हमें एक ५५ माले की होटल के ४४ वे माले पर एक कमरे में ठहराया गया था। वहा उस माले पर पहुँचाते ही मुझे ऐसा लगाने लगा था की वह ईमारत डौल रही है। डर लगता था। वहा हार जगह लिखा था की भूकंप आये तो लिफ्ट का इस्तेमाल न करे। फिर क्या क
रे तो कमरे में जो कांच की दीवार थी उसे तोड़े उस पर सीढ़िया है उसका इस्तेमाल कर निचे उतारे। मै सोचने लगा की १० सेक

ईश्वर से प्रार्थना करते है की जापान में भूकंप पीडितो को खुशहाल रखे और जो मृत हुए हो उनकी आत्मा को शांति दे।
March 10, 2011
मेरे ब्लॉग दोस्त

आज जब मैंने अपना ब्लॉग देखा तो पाया मेरे 50 ब्लॉग दोस्त बन गए है। बहुत प्रसन्नता हुई। मै आप सभी मित्रो का शुक्रिया अदा करने यहाँ आया हु।
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें