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गुरुवार, 20 अक्टूबर 2011

भारत माँ की आरती

बिखरी ताकत जुटा देश की, फिर संवार दे छटा देश की।
भारत माता हमको आज पुकारती, चलो उतारे आरती॥

आज अनेकों प्रान्त जल रहे, अपराधी दुर्दान्त पल रहे।
घोर अराजकता हमको ललकारती, चलो उतारें आरती॥

चकाचौंध में भौतिकता की, काया गिर रही नैतिकता की।
प्रगतिशीलता संस्कृति को ललकारती, चलो उतारें आरती॥

केशव ने जो मार्ग दिखाया, मधुकर ने चलकर बतलाया।
मातृभूमि उस पथ पर बाट निहारती, चलो उतारें आरती॥

सब आपस के भेद भुला दें, हृदय हृदय के तार मिला दें।
विश्व मंच पर शोभित हो माँ भारती, चलो उतारें आरती॥

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