
न जज्बा है,न प्यार,न अहसास दिलों में
हां,मकान आलीशान हैं,ये कैसा वक्त है ?
फरिश्ते भी हैं यहां,शैतान भी मिले
मिलता नहीं इंसान है,ये कैसा वक्त है ?
मुल्क के हैं रहनुमा,पर चेहरे हैं दागदार
भूखा मरे किसान,ये कैसा वक्त है करोडों में बिक रहे हैं कौडियों के लोग
न धर्म,न ईमान है,ये कैसा वक्त है ?
ये कैसा वक्त है ?
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