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!!! जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा॥!
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हार न जाना काल चक्र से, जीत को शीश झुकाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा॥
द्विधा की घनघोर घटा जब, मन मानस पर घिरती जाए।
मोह, भ्रान्ति के अवरोधों से, प्रेम की धारा रूकती जाए।।
ज्ञान, विवेक, सुमति, साहस से, संशय तुम्हे मिटाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा॥
संसार-सिन्धु की लहरों से, जीवन नौका टकराएगी।
प्रचंड काल की भंवरों में, यह कभी उलझ जायेगी॥
निर्भय निर्द्वंद दृढ़ता से, तुमको पतवार चलाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा॥
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मनुष्य का मन तो संकल्प-विकल्प दोनों करता है। उसमें परस्पर विरोधी भाव उत्पन्न
होते रहते हैं। अच्छे विचार आते हैं तो बुरे विचार भी आते हैं। बुरे विचार आते हैं
तो उसके विरोधी विचार अर्थात अच्छे विचार भी अवश्य उत्पन्न होते हैं। मन में उठने
वाले विचारों पर नियंत्रण कर हम जीवन को मनचाहा आकार दे सकते हैं। जैसा भाव या
विचार, वैसा ही जीवन। हमारी आंतरिक और बाह्य सृष्टि हमारे ही भावों से आकार पाती है
और उसी से नियंत्रित होती है। सकारात्मक भावों द्वारा इसे सही आकार प्रदान किया जा
सकता है !
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मैं उंगलियों पर गिनी जा सकें, इतनी बातें कहता हूं:
1. मन को जानना है, जो इतना निकट है, फिर भी इतना अज्ञात है।
2. मन को बदलना है, जो इतना हठी है, पर परिवर्तित होने को इतना आतुर है।
3. मन को मुक्त करना है, जो पूरा बंधन में है, किंतु 'अभी और यहीं' मुक्त हो सकता है।
ये
तीन बातें भी कहने की हैं, करना तो केवल एक ही काम है। वह है : मन को
जानना। शेष दो उस एक के होने पर अपने आप हो जाती हैं। ज्ञान ही बदलाहट है,
ज्ञान ही मुक्ति है।
कोकिल जितना घायल होता
उतनी मधुर कुहुक देता है
उतनी अधिक महक देता है
मैं तो केवल तन ही तन था मुझमें जागे मन के पहले
जैसे सिर्फ बांस का टुकड़ा है बंसी-वादन के पहले
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!! कोई भी काम एक दिन में नहीं सफल होता। काम एक पेड़ की तरह होता है। पहले उसकी आत्मा में एक बीज बोया जाता है, हिम्मत की खाद से उसे पोषित किया जाता है और मेहनत के पानी से उसे सींचा जाता है, तब जाकर सालों बाद वह फल देने के लायक होता है। सफलता के लिए इन्तजार करना आना चाहिए। पौधे से फल की इच्छा रखना मूर्खता से अधिक कुछ भी नही है।असफलता सफलता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अपने मस्तिष्क को अपना रास्ता स्वयं खोजने की शक्ति दीजिये।!
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!! मेरे इन्टरनेट दोस्तों से अनुरोध !!
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मुझे तो आदत है आपको याद करने की
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना .
ये दुनियाँ वाले भी बड़े अजीब होते हैं
कभी दूर तो कभी करीब होते हैं
दर्द न बताओ तो हमें कायर कहते हैं
और दर्द बताओ तो हमें शायर कहते हैं
एक मुलाकात करो हमसे इनायत समझकर
हर चीज़ का हिसाब देंगे कयामत समझकर
मेरी दोस्ती पर कभी शक न करना
हम दोस्ती भी करते हैं इबादत समझकर।
" हमसे जुड़े कई दोस्त ऐसे हैं जिनसे कोई प्रतिक्रिया, कोई सन्देश या कोई स्क्रेप बिलकुल नहीं आते. ..यदि ऐसा है तो दोस्ती का उद्देश्य अधूरा है. ..इतना तो करना ही चाहिए कि माह में कम से कम एक-दो सन्देश आना ही चाहिए.. अन्यथा आपके मनोभावों से हम अनजान ही बने रहेंगे और यहाँ से प्रेषित किये जा रहे संदेशों को पसंद न आने
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