1: मैने खुद को ही तबाह होते हुऎ देखा ,
जर्रे जर्रे में गुनाह होते हुऎ देखा ।
रग रग में लहू बन के जो दौड़ता था,
मैनें उसको भी स्याह होते हुऎ देखा ।
उचाँईयों से ना मेरा जिक्र करो ,
खुद को गर्दिश में पनाह होते हुऎ देखा ।
जो समझता था मुझे मुझसे ज्यादा ,
मैने उसको भी खफ़ा होते हुऎ देखा ।
गैरों की क्या बात करूँ तुमसे ,
मैनें अपने साये को जुदा होते हुऎ दे
===============================================================
जर्रे जर्रे में गुनाह होते हुऎ देखा ।
रग रग में लहू बन के जो दौड़ता था,
मैनें उसको भी स्याह होते हुऎ देखा ।
उचाँईयों से ना मेरा जिक्र करो ,
खुद को गर्दिश में पनाह होते हुऎ देखा ।
जो समझता था मुझे मुझसे ज्यादा ,
मैने उसको भी खफ़ा होते हुऎ देखा ।
गैरों की क्या बात करूँ तुमसे ,
मैनें अपने साये को जुदा होते हुऎ दे
===============================================================
2: एक लड़की रोज़ गली से गुज़रा करती थी,
अपने चहरे को नकाब में रखा करती थी ,
एक लड़का उसपे मरता था ,
वो उसे दिल से प्यार करता था,
एक दिन लड़की ने उस लड़के के पड़ोसी से पूछा कहा गया वो आशिक .....
तो उसने बताया...........
आपको आने में देर हो गई,
उस दीवाने की काल रात मौत हो गई ,
पड़ोसी ने अपना फ़र्ज़ निबहाया,
लड़की को क़ब्र तक ले आया ,
कडकी क़ब्र पर रोने लगी,
अपने आशुओ से कब्र को धोने लगी,
कब्र से आवाज आई --
ऐ खुदा,
"ये कैसा इन्कलाब अब आया है ,
आज मेरी कब्र पे वो बेनकाब आया है" .
================================================================
अपने चहरे को नकाब में रखा करती थी ,
एक लड़का उसपे मरता था ,
वो उसे दिल से प्यार करता था,
एक दिन लड़की ने उस लड़के के पड़ोसी से पूछा कहा गया वो आशिक .....
तो उसने बताया...........
आपको आने में देर हो गई,
उस दीवाने की काल रात मौत हो गई ,
पड़ोसी ने अपना फ़र्ज़ निबहाया,
लड़की को क़ब्र तक ले आया ,
कडकी क़ब्र पर रोने लगी,
अपने आशुओ से कब्र को धोने लगी,
कब्र से आवाज आई --
ऐ खुदा,
"ये कैसा इन्कलाब अब आया है ,
आज मेरी कब्र पे वो बेनकाब आया है" .
================================================================
ना कोई उम्मीदे शेष है , ना ही है कोई सहारा
फिर भी नजरे धुन्द्ती हर जगह,कोई मिल जाये हमारा
कच्चे धागे की तरह रिश्ते टूट जाते है
सफर के मोड़ पर कुछ साथी छूट जाते है
पर दे जाते है वो दिल में कुछ यादे ,
उन्ही यादो के सहारे हमारे गम मिट जाते है
हमने ही मिटाया उसको जो अब तक था हमको प्यारा
फिर भी नजरे धुन्द्ती हर जगह,कोई मिल जाये हमारा
इस दुनिया की भीड़ में कितने आते है कितने जाते है
हम भी इसी भीड़ के हिस्से में खो कर रह जाते है
जब भी कभी निकलते है हम इस भीड़ के हिस्से से
हम अपने आप को ही पहचान नहीं पाते है
जीतl हूँ आज सारी दुनिया,पर अपने आप से है हारा
इसीलिए नजरे धुन्द्ती हर जगह,कोई मिल जाये हमारा
============================================================
फिर भी नजरे धुन्द्ती हर जगह,कोई मिल जाये हमारा
कच्चे धागे की तरह रिश्ते टूट जाते है
सफर के मोड़ पर कुछ साथी छूट जाते है
पर दे जाते है वो दिल में कुछ यादे ,
उन्ही यादो के सहारे हमारे गम मिट जाते है
हमने ही मिटाया उसको जो अब तक था हमको प्यारा
फिर भी नजरे धुन्द्ती हर जगह,कोई मिल जाये हमारा
इस दुनिया की भीड़ में कितने आते है कितने जाते है
हम भी इसी भीड़ के हिस्से में खो कर रह जाते है
जब भी कभी निकलते है हम इस भीड़ के हिस्से से
हम अपने आप को ही पहचान नहीं पाते है
जीतl हूँ आज सारी दुनिया,पर अपने आप से है हारा
इसीलिए नजरे धुन्द्ती हर जगह,कोई मिल जाये हमारा
============================================================
अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।
उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।
छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।
उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।
वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।
रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।
तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।
हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।
मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना ।
मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना ।
दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ।
सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ' दीप ' को जला कर रखना
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।
उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।
छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।
उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।
वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।
रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।
तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।
हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।
मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना ।
मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना ।
दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ।
सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ' दीप ' को जला कर रखना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें